बिरहोर परिवार आज भी झोपड़ी में रहने को मजबूर
कोडरमा(झारखंड)डोमचांच प्रखंड अंतर्गत बच्छेडीह पंचायत के विंडोमोह बिरहोर टोला में निवास कर रहे हैं आदिम मानव जनजाति बिरहोर परिवार के लोगों को सरकारी सुविधा नही होने से तार-खजूर के पत्तों से बने कुनबे मे रहने को मजबूर हैं गौरतलब है की पिछले कई दशक से बिरहोर परिवार विंडोमोह में बिरहोर टोला में निवास कर रहे हैं लेकिन सरकारी सुविधा की माने तो "ढाक के तीन पात " वाली कहावत चरितार्थ होती है इन बिरहोर परिवारों को आवास नहीं होने के कारण तार व खजूर के पत्तों से तैयार कुनबों में रहने को मजबूर हैं महज 1-2 परिवार को आवास मिला है जो अधूरा है शिक्षा से कोसों दूर है बिरहोरों को माली हालत खराब होने के कारण सुबह होते ही अपने-अपने नाबालिक बच्चों के साथ जंगलों में विचरण करते हुए दातुन व पत्ता तोड़कर लाते हैं और घर पर सीमेंट के बोरों से रस्सी तैयार कर बाजारों में बेचकर पेट की आग बुझाते हैं बिरहोर टोला से स्कूल की दूरी अधिक होने के कारण तथा सड़क पार कर जाने के कारण बच्चे विद्यालय नहीं जाते हैं हाल के दिनों में हाथियों के झुंड क्षेत्र में प्रवेश होने के कारण बिरहोर परिवार अपने और अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर रात भर जाकर पहरेदारी करते हैं राजू बिरहोर, बिनोद बिरहोर, प्रसाधी बिरहोर, सोमर बिरहोर, संजय बिरहोर ने हाई मास्क लाइक लगाने की मांग किया है


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