ठंड ने दी दस्तक, लोगों का जीना हुआ मुहाल।
हर साल सर्दियों में गरीबों को ठंड से बचाने के नाम पर बड़ी योजनाएं चलाई जाती है और करोड़ों खर्च होने के दावे भी किए जाते हैं। वही पूर्णिया में भी साल के अंत से पहले ठण्ड ने दस्तक दे दी है। जहां ठण्ड ने भी गरीबी और अमीरी का चादर ओढ़े रखा है जिसका जीता जगाता सबुत यह वीडियो दिख रहा है जो पूर्णिया रेलवे जक्शन के विपरीत कृषि मैदान की है जहां लगभग २० से २५ परिवार खुले आसमान के निचे अपना जीवन व्यतीत करते देख रहे है। जिसमे बच्चे बूढ़े और युवा वर्ग के सभी लोग दिख रहे है। जिसमे बुजुर्गों और बच्चों के शरीर पर कड़ाके की ठण्ड में गर्म कपडे दिखाई नहीं दे रहे कुछ के शरीर पर गर्म कपडे दिख रहे है तो इन्होने कहा की हम सभी के पास काम नहीं है हम मांग कर अपना गुजार कर रहे है। सरकार की और से हमें कोई सहायता नहीं मिली है। गर्मी में तो जैसे तैसे समय काट जाता है मगर ठण्ड में सभी ठीठुरते रहते है। उन्होंने कहा की हमें पास के ही कुछ लोगों ने ये कपडे दिए है। इस दौरान ठण्ड से ठिठुरते लोगों ने कहा की हमारे पास कुछ भी नहीं है। हम सभी रात्रि में इसी मैदान में खुले आसमान के नीचे प्लास्टिक पर कुछ कपडे बिछाकर रहते है डर भी लगा रहता है की रात्रि में कही कोई जंगली कीड़ा हमें और हमारे बच्चों को काट ना ले।
सरकार ठंड के समय गरीबों को ठंड से बचाने को लेकर जगह जगह पर कई तरह के योजनाए चलती है परन्तु इसके बाद भी इन जैसे लोगों के पास न तो गर्म कपड़े हैं और न ही कोई ठोस आश्रय. रात ढलते ही ठंड से लड़ने का हर इंतजाम इनकी मजबूरी और बेबसी से हार मान लेता है। ब्यूरो रिपोर्ट पब्लिक व्यू पूर्णिया


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