उचकागांव: गोपालगंज के पुर्व सांसद कांग्रेस नेता काली प्रसाद पांडेय का हुआ निधन, जिले में शोक की लहर
गोपालगंज: बिहार की राजनीति में अपनी एक खास पहचान रखने वाले पूर्व सांसद काली प्रसाद पांडेय का शुक्रवार को दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में निधन हो गया. वे लंबे समय से बीमार थे. उनके निधन से बिहार की राजनीति के एक युग का अंत हो गया है, क्योंकि उनकी शख्सियत सिर्फ एक राजनेता तक सीमित नहीं थी. वे अपनी “रॉबिनहुड” छवि और मजबूत पकड़ के लिए जाने जाते थे, यही वजह थी कि कई बाहुबली उन्हें अपना गुरु मानते थे.
काली प्रसाद पांडेय का राजनीतिक जीवन 1980 में बिहार विधानसभा के सदस्य के रूप में शुरू हुआ, जब वे निर्दलीय चुनाव जीतकर विधायक बने. उनकी सबसे बड़ी और ऐतिहासिक जीत 1984 के लोकसभा चुनाव में हुई, जब उन्होंने जेल में रहते हुए भी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और गोपालगंज से सांसद चुने गए. यह जीत उस दौर में खास थी, क्योंकि इंदिरा गांधी की शहादत के बाद पूरे देश में कांग्रेस के पक्ष में लहर थी. इसके बावजूद काली प्रसाद पांडेय ने भारी मतों से जीत हासिल की. सांसद बनने के बाद वे कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए और राजीव गांधी के साथ काम किया. हालांकि, उनका राजनीतिक सफर सिर्फ कांग्रेस तक सीमित नहीं रहा. 2003 में वे लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) में शामिल हो गए और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव, प्रवक्ता और उत्तर प्रदेश के पर्यवेक्षक के रूप में काम किया. 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उन्होंने लोजपा छोड़कर अपने ‘घर’ कांग्रेस में वापसी की, जहां से उन्होंने कुचायकोट विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन वे हार गए. उनका यह सफर दिखाता है कि वे अपनी शर्तों पर राजनीति करने वाले नेता थे.


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